माँ कैलादेवी |
श्री कैलादेवी-जी की कहानी
करोली पर कैसे आई माँ
करोली के राज्य पर एक दानव बहुत अत्याचार करता था। वहां के राजा दो भाई थे। दोनों भाई दानव से परेशान थे। तो दोनों भाईयो ने माँ कैला देवी की पूजा की ओर करोली में आकर दानव से मुत्ति के लिए प्रार्थना की। माँ कैला देवी बाड़ी (वर्तमान में जिला धौलपुर की तहसील है। ) से करोली पर आई, और दानव का संहार किया। जिसका प्रमाण कलिशील नदी के किनारे माँ और दानव के पैरो के चिह्न आज भी है।चैत्र माह में, नवरात्री के प्रथम रात्रि को माँ स्वप्न में दर्शन देती है। नवरात्री के अष्टमी को माँ की प्रतिमा की गर्दन सीधी हो जाती है। यहाँ पर जो भी सचे मन के आता है। वहां मन बांछित फल पता है।
स्थान से दुरिया
करोली जिले के ३३ कि.मी. दुरी पर स्थित है
भरतपुर 107 km
सवाई माधोपुर 129 km
रंथाम्भोरे 129 km
अलवर 162 km
जयपुर 169 km
सरिस्का 198 km
दिल्ली 288 km
कुचामन 294 km
अजमेर 295 km
पुष्कर 312 km
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